बिंब रूपे वर
कमळ सगूण
खालती निर्गूण
प्रतिबिंब
स्पर्श रूप गंध
बिंब उधळते
निवांत राहते
प्रतिबिंब
साहतसे बिंब
वर्षा ऊन वारा
पाहते पसारा
प्रतिबिंब
पाण्याच्या वरती
भोक्ता बिंब डुले
साक्षी रूपे हले
प्रतिबिंब..!
विरताच पाणी
द्वैत मावळते
बिंबात मुरते
प्रतिबिंब..!
***
आसावरी काकडे
१.९.२०१६
कमळ सगूण
खालती निर्गूण
प्रतिबिंब
स्पर्श रूप गंध
बिंब उधळते
निवांत राहते
प्रतिबिंब
साहतसे बिंब
वर्षा ऊन वारा
पाहते पसारा
प्रतिबिंब
पाण्याच्या वरती
भोक्ता बिंब डुले
साक्षी रूपे हले
प्रतिबिंब..!
विरताच पाणी
द्वैत मावळते
बिंबात मुरते
प्रतिबिंब..!
***
आसावरी काकडे
१.९.२०१६
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